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कविता

स्कूल तो था

मिथिलेश कुमार राय


बात ऐसी नहीं थी
कि लालपुर में स्कूल नहीं था
बात ऐसी भी नहीं थी
कि उसके दिमाग में भूसा भरा हुआ था

बात तो कुछ ऐसी थी
कि उसके घर का खूँटा टूट गया था
बहन बाँस हो रही थी
और रात को माँ की चीत्कार से
पूरे गाँव की नींद खराब हो जाती थी

फिर यह भी एक दृश्य था
कि बीए पास लड़का
लालपुर में घोड़े की घास छील रहा था

ऐसे में एक रात अगर उसने घर छोड़ दिया
और पंजाब से पहली चिट्ठी में लिखा
कि माँ अब मैं कमाने लगा हूँ
चिट्ठी के साथ जो पैसे भेज रहा हूँ
उससे घर का छप्पर ठीक करवा लेना
अब जल्दी ही तुम्हरे पेट का दर्द
और बहिन का ब्याह भी ठीक हो जाएगा...

...तो मैं यह तय नहीं कर पा रहा हूँ
कि उसने अच्छा किया या बुरा
हालाँकि लालपुर में स्कूल था
और उसके दिमाग में
भूसा भी भरा हुआ नहीं था


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